कुछ इशारा जो किया हम ने मुलाक़ात के वक़्त
टाल कर कहने लगे दिन है अभी रात के वक़्त
Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1565) Peoples Rate This
अजीब लुत्फ़ कुछ आपस के छेड़-छाड़ में है
जो हाथ अपने सब्ज़े का घोड़ा लगा
ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है
दहकी है आग दिल में पड़े इश्तियाक़ की
सुब्ह-दम मुझ से लिपट कर वो नशे में बोले
ज़ुल्फ़ को था ख़याल बोसे का
तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन
शैख़-जी ये बयान करो हम भी तो बारी कुछ सुनें
सर चश्म सब्र दिल दीं तन माल जान आठों
साँवले तन पे ग़ज़ब धज है बसंती शाल की
मुझे क्यूँ न आवे साक़ी नज़र आफ़्ताब उल्टा
तुम्हारे हाथों की उँगलियों की ये देखो पोरें ग़ुलाम तीसों