Ghazals of Iqbal Ashhar

Ghazals of Iqbal Ashhar
नामइक़बाल अशहर
अंग्रेज़ी नामIqbal Ashhar
जन्म की तारीख1965
जन्म स्थानDelhi

ये नहीं पहले तिरी याद से निस्बत कम थी

वो भी कुछ भूला हुआ था मैं कुछ भटका हुआ

तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था

ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई

तमाशाई बने रहिए तमाशा देखते रहिए

सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वाला

रास्ता भूल गया एक सितारा अपना

रात का पिछ्ला पहर कैसी निशानी दे गया

प्यास के बेदार होने का कोई रस्ता न था

प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है

कितने भूले हुए नग़्मात सुनाने आए

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

कभी कसक जुदाई की कभी महक विसाल की

दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है

भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है

बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का

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