प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(4031) Peoples Rate This
वो दोस्त था तो उसी को अदू भी होना था
इस साल शराफ़त का लिबादा नहीं पहना
मिला तो हादिसा कुछ ऐसा दिल ख़राश हुआ
पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का
ग़ार से संग हटाया तो वो ख़ाली निकला
मोम की सीढ़ी पे चढ़ कर छू रहे थे आफ़्ताब
मारा किसी ने संग तो ठोकर लगी मुझे
बे-ख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ
इक रिदा-ए-सब्ज़ की ख़्वाहिश बहुत महँगी पड़ी
गड़े मर्दों ने अक्सर ज़िंदा लोगों की क़यादत की
मुझ पे पत्थर फेंकने वालों को तेरे शहर में