इक ख़्वाब नींद का था सबब, जो नहीं रहा

इक ख़्वाब नींद का था सबब, जो नहीं रहा

उस का क़लक़ है ऐसा कि मैं सो नहीं रहा

वो हो रहा है जो मैं नहीं चाहता कि हो

और जो मैं चाहता हूँ वही हो नहीं रहा

नम दीदा हूँ, कि तेरी ख़ुशी पर हूँ ख़ुश बहुत

चल छोड़, तुझ से कह जो दिया, रो नहीं रहा

ये ज़ख़्म जिस को वक़्त का मरहम भी कुछ नहीं

ये दाग़, सैल-ए-गिर्या जिसे धो नहीं रहा

अब भी है रंज, रंज भी ख़ासा शदीद है

वो दिल को चीरता हुआ ग़म गो नहीं रहा

आबाद मुझ में तेरे सिवा और कौन है?

तुझ से बिछड़ रहा हूँ तुझे खो नहीं रहा

क्या बे-हिसी का दौर है लोगो कि अब ख़याल

अपने सिवा किसी का किसी को नहीं रहा

(1127) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha In Hindi By Famous Poet Irfan Sattar. Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha is written by Irfan Sattar. Complete Poem Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha in Hindi by Irfan Sattar. Download free Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha Poem for Youth in PDF. Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek KHwab Nind Ka Tha Sabab, Jo Nahin Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.