ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से
आदम है मुराद हस्ती-ए-आलम से
हम अस्ल हैं और ये हमारा साया
आलम का वजूद है हमारे दम से
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
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Jaun Eliya
Wasi Shah
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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एक पौदा और घास
नक़्क़ाश से मुमकिन है कि हो नक़्श ख़िलाफ़
मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
दीन और दुनिया का तफ़रक़ा है मोहमल
सच कहो
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
कहते हैं सभी मुसदाम अल्लाह अल्लाह
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर
चक्खी भी है तू ने दुर्द-ए-जाम-ए-तौहीद
एक वक़्त में एक काम
तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार