हाए ये तेरे हिज्र का आलम
चंद लम्हों को तेरे आने से
उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम
यूँ ही बदला हुआ सा इक अंदाज़
यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम
याद-ए-माज़ी में यूँ ख़याल तिरा
यूँ दिल की फ़ज़ा में खेलते हैं
कितनी मासूम हैं तिरी आँखें
आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर
सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा
एक कम-सिन हसीन लड़की का
तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-शफ़क़