आ कि इन बद-गुमानियों की क़सम
भूल जाएँ ग़लत-सलत बातें
आ किसी दिन के इंतिज़ार में दोस्त
काट दें जाग जाग कर रातें
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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दूर वादी में ये नदी 'अख़्तर'
दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या
सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा
अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से
ना-मुरादी के ब'अद बे-तलबी
इस हसीं जाम में हैं ग़ल्तीदा
उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम
किस को मालूम था कि अहद-ए-वफ़ा
चंद लम्हों को तेरे आने से
हाए ये तेरे हिज्र का आलम
यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर