पसीने से मिरे अब तो ये रुमाल
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
जो हक़ीक़त है उस हक़ीक़त से
ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल
शर्म दहशत झिझक परेशानी
साल-हा-साल और इक लम्हा
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतें
वो कसी दिन न आ सके पर उसे
सर में तकमील का था इक सौदा
ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम