ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल
पास रह कर जुदाई की तुझ से
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
सर में तकमील का था इक सौदा
हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतें
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
शर्म दहशत झिझक परेशानी
साल-हा-साल और इक लम्हा
इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मैं ने हर बार तुझ से मिलते वक़्त