हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए
कुछ भी हो पर अब हद्द-ए-अदब में न रहा जाए
तारीख़ ने क़ौमों को दिया है यही पैग़ाम
हक़ माँगना तौहीन है हक़ छीन लिया जाए
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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कौन सूद-ओ-ज़ियाँ की दुनिया में
पास रह कर जुदाई की तुझ से
ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
साल-हा-साल और इक लम्हा
इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद
शर्म दहशत झिझक परेशानी
उस के और अपने दरमियान में अब
वो कसी दिन न आ सके पर उसे
सर में तकमील का था इक सौदा
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतें