कौन सूद-ओ-ज़ियाँ की दुनिया में
दर्द ग़ुर्बत का साथ देता है
जब मुक़ाबिल हों इश्क़ और दौलत
हुस्न दौलत का साथ देता है
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Wasi Shah
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Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
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मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतें
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
चाँद की पिघली हुई चाँदी में
मैं ने हर बार तुझ से मिलते वक़्त
क्या बताऊँ कि सह रहा हूँ मैं
जो हक़ीक़त है उस हक़ीक़त से
हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए
थी जो वो इक तमसील-ए-माज़ी आख़िरी मंज़र उस का ये था
सर में तकमील का था इक सौदा
ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल
साल-हा-साल और इक लम्हा