पास रह कर जुदाई की तुझ से
दूर हो कर तुझे तलाश किया
मैं ने तेरा निशान गुम कर के
अपने अंदर तुझे तलाश किया
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चाँद की पिघली हुई चाँदी में
पसीने से मिरे अब तो ये रुमाल
उस के और अपने दरमियान में अब
मैं ने हर बार तुझ से मिलते वक़्त
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद
हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
सर में तकमील का था इक सौदा
जो हक़ीक़त है उस हक़ीक़त से
शर्म दहशत झिझक परेशानी