आहटों के सराब में गुम हैं
तेरी बाहोँ के ख़्वाब में गुम हैं
अपने होश-ओ-हवास क्या जानें
किस जहान-ए-ख़राब में गुम हैं
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दिल-ए-वीराँ को अब की बार शायद
मुझ को इन अर्ज़ी ख़ुदाओं ने अगर लूटा है
पा लिया फिर किसी उम्मीद ने फ़र्दा का सुराग़
दिल से मजबूर आप से बेज़ार
नींद उड़ जाएगी रातों को शिकायत होगी
शम्अ रौशन है सर-ए-बज़्म निगाहों में मगर