सितम कब उन पे ढाया है किसी ने
सितम कब उन पे ढाया है किसी ने
बस आईना दिखाया है किसी ने
फ़लक से ख़ूँ की बारिश क्यूँ न होती
ज़मीं का दिल दिखाया है किसी ने
मिरी आँखें छलकने लग गईं हैं
तअ'ल्लुक़ क्या निभाया है किसी ने
सियासत खेल है जादूगरी का
तमाशाई बनाया है किसी ने
बहुत नाज़ुक बदन है शाइ'री का
कि जैसे गुल उठाया है किसी ने
बड़ी राहत मिली 'जावेद' दिल को
गले से जब लगाया है किसी ने
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