अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
मुबहम पयाम
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
बरसात है दिल डस रहा है पानी
ज़ब्त-ए-गिर्या
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा