ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
मुबहम पयाम
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा