दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
मुबहम पयाम
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
ज़ब्त-ए-गिर्या