क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
जाने वाले क़मर को रोके कोई
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
मुबहम पयाम
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप