इस दहर में इक नफ़स का धोका हूँ मैं
बिजली हूँ बगूला हूँ छलावा हूँ मैं
घबराई हुई है जोश-ए-रूह--ए-तहक़ीक़
हर ज़र्रा पुकारता है दुनिया हूँ मैं
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(963) Peoples Rate This
ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैहम लेने
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
आज़ादि-ए-फ़िक्र ओ दर्स-ए-हिकमत है गुनाह
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
ज़ब्त-ए-गिर्या
जाने वाले क़मर को रोके कोई
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के