क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
क्या पाएगा तौहीन-ए-जवानी कर के
तू आतिश-ए-दोज़ख़ से डराता है उन्हें
जो आग को पी जाते हैं पानी कर के
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
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ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
ज़ब्त-ए-गिर्या
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा
मुबहम पयाम