ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक
ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक
क़ुर्बान शह-ए-जिन्न-ओ-बशर हैं अब तक
होते हैं अलम आगे जब उठती है ज़रीह
अब्बास-ए-अली सीना-सिपर हैं अब तक
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ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक
क़ुर्बान शह-ए-जिन्न-ओ-बशर हैं अब तक
होते हैं अलम आगे जब उठती है ज़रीह
अब्बास-ए-अली सीना-सिपर हैं अब तक
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