मीर तक़ी मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मीर तक़ी मीर

मीर तक़ी मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मीर तक़ी मीर
नाममीर तक़ी मीर
अंग्रेज़ी नामMir Taqi Mir
जन्म की तारीख1722-23
मौत की तिथि1810
जन्म स्थानDelhi

तुम तो ऐ मेहरबान अनूठे निकले

इतने भी हम ख़राब न होते रहते

यही दर्द-ए-जुदाई है जो इस शब

वाए इस जीने पर ऐ मस्ती कि दौर-ए-चर्ख़ में

तस्कीन-ए-दिल के वास्ते हर कम-बग़ल के पास

तड़प है क़ैस के दिल में तह-ए-ज़मीं इस से

ताब-ओ-ताक़त को तो रुख़्सत हुए मुद्दत गुज़री

सुना है चाह का दावा तुम्हारा

फूलों की सेज पर से जो बे-दिमाग़ उठ्ठे

फिर भी करते हैं 'मीर'-साहिब इश्क़

न समझा गया अब्र क्या देख कर

न जानूँ 'मीर' क्यूँ ऐसा है चिपका

न आया वो तो क्या हम नीम-जाँ भी

'मीर' को ज़ोफ़ में मैं देख कहा कुछ कहिए

मैं बे-नवा उड़ा था बोसे को उन लबों के

मय-कशी सुब्ह-ओ-शाम करता हूँ

कोह-ओ-सहरा भी कर न जाए बाश

ख़ूब है ख़ाक से बुज़ुर्गों की

हुआ है अहल-ए-मसाजिद पे काम अज़-बस तंग

हो आशिक़ों में उस के तो आओ 'मीर'-साहिब

हर-चंद गदा हूँ मैं तिरे इश्क़ में लेकिन

हाल-ए-बद में मिरे ब-तंग आ कर

गह सरगुज़िश्त उन ने फ़रहाद की निकाली

दुनिया से दर-गुज़र कि गुज़रगह अजब है ये

दिल टुक उधर न आया ईधर से कुछ न पाया

बुताँ के इश्क़ ने बे-इख़्तियार कर डाला

बुत-ख़ाने से दिल अपने उठाए न गए

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