मिस्कीन शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मिस्कीन शाह

मिस्कीन शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मिस्कीन शाह
नाममिस्कीन शाह
अंग्रेज़ी नामMiskeen Shah

राह से दैर-ओ-हरम की है जो कू-ए-यार में

ख़फ़ा भी हो के जो देखे तो सर निसार करूँ

दैर से काबा गए काबा से माबदगाह में

छोड़ दें दैर-ओ-हरम कुफ़्र और इस्लाम के लोग

ब'अद मुद्दत गर्दिश-ए-तस्बीह से 'मिस्कीं' हमें

तस्बीह से ग़रज़ है न ज़ुन्नार से ग़रज़

सुनते ही दिल हो गया उस यार का असरार मस्त

शम्अ' रौशन जिस्म-ए-फ़ानूस-ए-ख़याली में है आज

नहीं है मुझ को ऐ जमशेद तेरे जाम से काम

मेरा शाहिद वो हमें अय्यार आता है नज़र

माह-रू याँ हज़ार को देखा

किसी का एक है दुश्मन तो दोस्त-दार है एक

कल हम से मुलाक़ात में वो यार जो की बहस

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