लोग कहते फिर रहे हैं
दोस्तो
मेहनत-कशों को
इक मुसावाती किसी उस्ताद ने
दे तो दी रोटी
लंगोटी छीन ली
Gulzar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(562) Peoples Rate This
अपने दम से है ज़माने में घोटालों का वजूद
हम को देखे जो आँख वाला हो
जब हुआ काले का गोरे से मिलाप
अलामत के पस-मंज़र में
जब भी वालिद की जफ़ा याद आई
शौहर ने आज...
इश्क़ औलाद कर रही है मगर
ज़ुल्फ़ के पेच में लटके हुए शाएर का वजूद
यहाँ जितने हैं अपने बाप के हैं
रौशन ख़याली
दूसरी ने जो सँभाली चप्पल