मोहसिन नक़वी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहसिन नक़वी (page 3)
नाम | मोहसिन नक़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohsin Naqvi |
जन्म की तारीख | 1947 |
मौत की तिथि | 1996 |
जन्म स्थान | Pakistan |
मा'रका अब के हुआ भी तो फिर ऐसा होगा
मैं कल तन्हा था ख़िल्क़त सो रही थी
मैं दिल पे जब्र करूँगा तुझे भुला दूँगा
मैं चुप रहा कि ज़हर यही मुझ को रास था
लबों पे हर्फ़-ए-रजज़ है ज़िरह उतार के भी
किस ने संग-ए-ख़ामुशी फेंका भरे-बाज़ार पर
ख़ुमार-ए-मौसम-ए-ख़ुश्बू हद-ए-चमन में खुला
ख़ुद अपने दिल में ख़राशें उतारना होंगी
कठिन तन्हाइयों से कौन खेला मैं अकेला
कठिन तन्हाइयाँ से कौन खेला मैं अकेला
जुगनू गुहर चराग़ उजाले तो दे गया
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
जब हिज्र के शहर में धूप उतरी मैं जाग पड़ा तो ख़्वाब हुआ
इतनी मुद्दत बा'द मिले हो
हम जो पहुँचे सर-ए-मक़्तल तो ये मंज़र देखा
हवा-ए-हिज्र में जो कुछ था अब के ख़ाक हुआ
हर एक शब यूँही देखेंगी सू-ए-दर आँखें
ग़ज़लों की धनक ओढ़ मिरे शोला-बदन तू
फ़ज़ा का हब्स शगूफ़ों को बास क्या देगा
एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया
बिछड़ के मुझ से ये मश्ग़ला इख़्तियार करना
भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें
ब-नाम-ए-ताक़त कोई इशारा नहीं चलेगा
अज़ाब-ए-दीद में आँखें लहू लहू कर के
अश्क अपना कि तुम्हारा नहीं देखा जाता
अजीब ख़ौफ़ मुसल्लत था कल हवेली पर
अगरचे मैं इक चटान सा आदमी रहा हूँ
अब ये सोचूँ तो भँवर ज़ेहन में पड़ जाते हैं
अब वो तूफ़ाँ है न वो शोर हवाओं जैसा
अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था