मोहसिन ज़ैदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहसिन ज़ैदी

मोहसिन ज़ैदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहसिन ज़ैदी
नाममोहसिन ज़ैदी
अंग्रेज़ी नामMohsin Zaidi
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि2003
जन्म स्थानLucknow

ये ज़ुल्म देखिए कि घरों में लगी है आग

सुनते हैं कि आबाद यहाँ था कोई कुम्बा

लिबास बदले नहीं हम ने मौसमों की तरह

कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है

कोई अकेला तो मैं सादगी-पसंद न था

जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई

जान कर चुप हैं वगरना हम भी

हम ने भी देखी है दुनिया 'मोहसिन'

हर शख़्स यहाँ गुम्बद-ए-बे-दर की तरह है

दूर रहना था जब उस को 'मोहसिन'

बिछड़ने वालों में हम जिस से आश्ना कम थे

अगर चमन का कोई दर खुला भी मेरे लिए

ज़माने भर की ज़िल्लत सामने थी

यूँ समझ लो कि ब-जुज़ नाम-ए-ख़ुदा कुछ न रहा

ये जौर अहल-ए-अज़ा पर मज़ीद करते रहे

ये हैं जो आस्तीन में ख़ंजर कहाँ से आए

वो मौत का मंज़र जो था दिन रात वही है

ठहरे हुए न बहते हुए पानियों में हूँ

रस्ते में कोई आ के इनाँ-गीर हो न जाए

नक़्श पानी पे बनाया क्यूँ था

मंज़िल-ओ-सम्त-ए-सफ़र से बे-ख़बर ना-आश्ना

क्या देखते हो राह में रुक कर यहाँ वहाँ

कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है

कोई दीवार न दर जानते हैं

किसी के दोश न मरकब से इस्तिफ़ादा किया

जितना तहज़ीब-ए-बदन से मैं सँवरता जाऊँ

जाना है उसी सम्त कि चारा नहीं कोई

इस तरफ़ से उस तरफ़ तक ख़ुश्क ओ तर पानी में है

हर रोज़ नया हश्र सर-ए-राहगुज़र था

हमें तो ख़ैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगता

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