कुर्सी में निकली हुई
कील की तरह
सियासत-दान मुझे चुभते हैं
जब और जहाँ
नज़र आते हैं
ठोंक देता हूँ उन्हें
अपने हथौड़े से
उन के हक़ में या ख़िलाफ़
दलाएल को तोले बग़ैर
तरखान की दुकान में
तराज़ू का क्या काम
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