Ghazals of Mujahid Faraaz
नाम | मुजाहिद फ़राज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Mujahid Faraaz |
वो आज़माएँ मुझे उन को आज़माऊँ मैं
उम्र गुज़री इसी मैदान को सर करने में
सिलसिला लफ़्ज़ों की सौग़ात का भी टूट गया
पता चला कि मिरी ज़िंदगी में लिक्खा था
मशक़्क़त की तपिश में जिस्म का लोहा गलाते हैं
इस क़दर सच्चाई से बेज़ार दुनिया हो गई
दावे बुलंदियों के करें किस ज़बाँ से हम
बीच समुंदर रहता हूँ
बदन की क़ैद से बाहर ठिकाना चाहता है