रात के बाद वो सुब्ह कहाँ है दिन के बाद वो शाम कहाँ

रात के बाद वो सुब्ह कहाँ है दिन के बाद वो शाम कहाँ

जो आशुफ़्ता-सरी है मुक़द्दर उस में क़ैद-ए-मक़ाम कहाँ

भीगी रात है सूनी घड़ियाँ अब वो जलवा-ए-आम तमाम

बंधन तोड़ के जाऊँ लेकिन ऐ दिल ऐ नाकाम कहाँ

अब वो हसरत-ए-रुसवा बन कर जुज़्व-ए-हयात है बरसों से

जिस से वहशत करते थे तुम अब वो ख़याल-ए-ख़ाम कहाँ

ज़ीस्त की रह में अब हम बे-हिस तन्हा सर-ब-गिरेबाँ हैं

कुछ आलाम का साथ हुआ था वो भी नाफ़रजाम कहाँ

करनी करते राहें तकते हम ने उम्र गँवाई है

ख़ूबी-ए-क़िस्मत ढूँड के हारी हम ऐसे नाकाम कहाँ

अपने हाल को जान के हम ने फ़क़्र का दामन थामा है

जिन दामों ये दुनिया मिलती उतने हमारे दाम कहाँ

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In Hindi By Famous Poet Mukhtar Siddiqui. is written by Mukhtar Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Mukhtar Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.