जिन ख़यालों के उलट फेर में उलझीं साँसें
उन में कुछ और भी साँसों का इज़ाफ़ा कर लें
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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तिरे जल्वे तेरे हिजाब को मेरी हैरतों से नुमू मिली
आख़िर दिल की पुरानी लगन कर के ही रहेगी फ़क़ीर हमें
थी तो सही पर आज से पहले ऐसी हक़ीर फ़क़ीर न थी
क़र्या-ए-वीराँ
फिर बहार आई है फिर जोश में सौदा होगा
परछाइयाँ
ध्यान की मौज को फिर आइना-सीमा कर लें
फेरा बहार का तो बरस दो बरस में है
की शब-ए-हश्र मिरी शाम-ए-जवानी तुम ने
मेरी आँखों ही में थे अन-कहे पहलू उस के
क्या क्या पुकारें सिसकती देखीं लफ़्ज़ों के ज़िंदानों में