मुनव्वर राना कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनव्वर राना

मुनव्वर राना कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनव्वर राना
नाममुनव्वर राना
अंग्रेज़ी नामMunawwar Rana
जन्म की तारीख1952
जन्म स्थानLucknow

वुसअत-ए-सहरा भी मुँह अपना छुपा कर निकली

तुम ने जब शहर को जंगल में बदल डाला है

तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी

तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता

तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको

सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर

फिर कर्बला के ब'अद दिखाई नहीं दिया

फेंकी न 'मुनव्वर' ने बुज़ुर्गों की निशानी

पचपन बरस की उम्र तो होने को आ गई

मोहब्बत एक पाकीज़ा अमल है इस लिए शायद

मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले

मिरी हथेली पे होंटों से ऐसी मोहर लगा

मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी

माँ ख़्वाब में आ कर ये बता जाती है हर रोज़

मैं राह-ए-इश्क़ के हर पेच-ओ-ख़म से वाक़िफ़ हूँ

मैं इसी मिट्टी से उट्ठा था बगूले की तरह

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है

कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

किसी की याद आती है तो ये भी याद आता है

किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा

किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए

खिलौनों की दुकानों की तरफ़ से आप क्यूँ गुज़रे

कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में

जितने बिखरे हुए काग़ज़ हैं वो यकजा कर ले

हम सब की जो दुआ थी उसे सुन लिया गया

हम नहीं थे तो क्या कमी थी यहाँ

हँस के मिलता है मगर काफ़ी थकी लगती हैं

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं

गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना

Munawwar Rana Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Munawwar Rana including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Munawwar Rana. Free Download all kind of Munawwar Rana Poetry in PDF. Best of Munawwar Rana Poetry in Hindi. Munawwar Rana Ghazals and Inspirational Nazams for Students.