तबाह कर गया सब को मिरे घराने का

तबाह कर गया सब को मिरे घराने का

वही जुनून हथेली पे फूल उगाने का

तिरे बग़ैर मैं मर जाऊँगा यही सच है

नहीं है हौसला अब झूट को बचाने का

हमारे बीच में इक और शख़्स होना था

जो लड़ पड़े तो कोई भी नहीं मनाने का

वो रेग रेग से उठता था लहर लहर की शक्ल

मैं ख़्वाब देखता था कश्तियाँ चलाने का

हवा से भूल हुई थी कि पूछ बैठी थी

कभी पता मिरे हरजाई के ठिकाने का

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In Hindi By Famous Poet Musavvir Sabzwari. is written by Musavvir Sabzwari. Complete Poem in Hindi by Musavvir Sabzwari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.