मुशफ़िक़ ख़्वाजा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुशफ़िक़ ख़्वाजा

मुशफ़िक़ ख़्वाजा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुशफ़िक़ ख़्वाजा
नाममुशफ़िक़ ख़्वाजा
अंग्रेज़ी नामMushfiq Khwaja
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि2005
जन्म स्थानKarachi

ये लम्हा लम्हा ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश का हासिल है

ये हाल है मिरे दीवार-ओ-दर की वहशत का

नज़र चुरा के वो गुज़रा क़रीब से लेकिन

मिरी नज़र में गए मौसमों के रंग भी हैं

हज़ार बार ख़ुद अपने मकाँ पे दस्तक दी

दिल एक और हज़ार आज़माइशें ग़म की

बुझे हुए दर-ओ-दीवार देखने वालो

ये क्या ज़रूर हमीं को वो आज़माएगा

ये कोई दिल तो नहीं है कि ठहर जाएगा

यही नहीं कि वो बे-ताब-ओ-बे-क़रार गया

सितम भी करता है उस का सिला भी देता है

क़दम उठे तो अजब दिल-गुदाज़ मंज़र था

नक़्श गुज़रे हुए लम्हों के हैं दिल पर क्या क्या

न अब वो ख़ुश-नज़री है न ख़ुश-ख़िसाली है

मिसाल-ए-अक्स कुंज-ए-ज़ात से बाहर रहा हूँ मैं

क्यूँ ख़ल्वत-ए-ग़म में रहते हो क्यूँ गोशा-नशीं बेकार हुए

क्यूँ ख़ल्वत-ए-ग़म में रहते हो क्यूँ गोशा-नशीं बेकार हुए

कुछ इस तरह से तेरा ग़म दिए जलाता था

कोई दिल तो नहीं है कि ठहर जाएगा

कभी पैग़ाम-ए-सुकूँ तेरी नज़र ने न दिया

काम कुछ आ न सकी रस्म-ए-शनासाई भी

जाने वाला जो कभी लौट के आया होगा

हम पे तन्हाई में कुछ ऐसे भी लम्हे आए

हुजूम-ए-हम-नफसाँ चारा-ए-अलम न हुआ

गुज़र गए हैं जो दिन उन को याद करना क्या

ग़म ही ले दे के मिरी दौलत-ए-बेदार नहीं

दहर को लम्हा-ए-मौजूद से हट कर देखें

चेहरा तो चमक दमक रहा है

ऐ मुश्फ़िक़-ए-मन इस हाल में तुम किस तरह बसर फ़रमाओगे

Mushfiq Khwaja Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Mushfiq Khwaja including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Mushfiq Khwaja. Free Download all kind of Mushfiq Khwaja Poetry in PDF. Best of Mushfiq Khwaja Poetry in Hindi. Mushfiq Khwaja Ghazals and Inspirational Nazams for Students.