इस नज़्म में तरमीम की कोई गुंजाइश न थी
इस नज़्म की तख़्लीक़ पर वो बहुत ख़ुश था
फिर भी
इशाअत के लिए रवाना करने से क़ब्ल
उस ने नज़्म के आख़िरी मिसरे
बदल डाले
Gulzar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
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Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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Parveen Shakir
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Jaun Eliya
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तरदीद
इंतिज़ार के बा'द
लीडर
मिट्टी मौसम और रंग
मुझ से पूछो
एहसास-ए-जुर्म
लहु में उतरता हुआ मौसम
शाइ'र
न मेरा नाम मेरा है
क़लम
आईने के सामने
मैं