हुस्न मंज़र में कहाँ है
ये हमारे मन की आँखों में कहीं है
मन की आँखें खुल सकें जो
तो हर इक मंज़र हसीं है
हुस्न मंज़र में नहीं है
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
गिन रहे हैं दिल-ए-नाकाम के दिन
वो मिरे दिल में यूँ समा के गई
मान टूटे तो फिर नहीं जुड़ता
इश्क़ वो चार सू सफ़र है जहाँ
आवेज़े
शुऊर-ए-ज़ात के साँचे में ढलना चाहता हूँ
ये जानता है पलट कर उसे नहीं आना
वो
या हुस्न है ना-वाक़िफ़-ए-पिंदार-ए-मोहब्बत
माँ
मुझे रिफ़अ'तों का ख़ुमार था सो नहीं रहा