जिन बच्चों को
अपना सारा जीवन दे कर
पाला पोसा
वो बच्चे जब दूर गए हों
उन की राह तकती रहती है
उन की याद में खो जाती है
चुपके चुपके रोती है
रोते रोते सो जाती है
माँ जब बूढ़ी हो जाती है
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Love Poetry
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Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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लोग लड़ते रहे नाम आए तलब-गारों में
सामने अपने तू बुला के तो देख
आवेज़े
वक़्त पर इश्क़-ए-ज़ुलेख़ा का असर लगता है
हो गए हम शिकार फूलों के
मुझे रिफ़अ'तों का ख़ुमार था सो नहीं रहा
मंज़िल है कि इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
बिखरा है कई बार समेटा है कई बार
माह-ए-तमाम
मान टूटे तो फिर नहीं जुड़ता
या हुस्न है ना-वाक़िफ़-ए-पिंदार-ए-मोहब्बत
हुस्न मंज़र में नहीं है