इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
दिल भी अब सो गया है रात गए
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(386) Peoples Rate This
माँ
आवेज़े
मैं ख़ुद को सामने तेरे बिठा कर
बिखरा है कई बार समेटा है कई बार
ए'तिराफ़
मंज़िल है कि इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
जो उस आँख से निकला होगा
जितनी आँखें थीं सारी मेरी थीं
शुऊर-ए-ज़ात के साँचे में ढलना चाहता हूँ
गिन रहे हैं दिल-ए-नाकाम के दिन
चश्म-ओ-दिल साहब-ए-गुफ़्तार हुए जाते हैं