नजीब अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नजीब अहमद

नजीब अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नजीब अहमद
नामनजीब अहमद
अंग्रेज़ी नामNajeeb Ahmad
जन्म की तारीख1947

ज़िंदगी भर की कमाई ये तअल्लुक़ ही तो है

ज़मीं पे पाँव ज़रा एहतियात से धरना

वही रिश्ते वही नाते वही ग़म

रुकूँ तो हुजला-ए-मंज़िल पुकारता है मुझे

फिर यूँ हुआ कि मुझ पे ही दीवार गिर पड़ी

'नजीब' इक वहम था दो चार दिन का साथ है लेकिन

मिरी ज़मीं मुझे आग़ोश में समेट भी ले

मिरी नुमूद किसी जिस्म की तलाश में है

मौत से ज़ीस्त की तकमील नहीं हो सकती

किस ने वफ़ा के नाम पे धोका दिया मुझे

ख़ेमा-ए-जाँ की तनाबों को उखड़ जाना था

इस दाएरा-ए-रौशनी-ओ-रंग से आगे

हम तो समझे थे कि चारों दर मुक़फ़्फ़ल हो चुके

इक तिरी याद गले ऐसे पड़ी है कि 'नजीब'

आसमानों से ज़मीनों पे जवाब आएगा

ख़्वाब-गाह

ख़याल रखना

दिए आँखों की सूरत बुझ चुके हैं

अभी कुछ काम बाक़ी हैं

ज़रूरत कुछ ज़ियादा हो न जाए

ज़र्द पत्तों को दरख़्तों से जुदा होना ही था

यक़ीं ने मुझ को असीर-ए-गुमाँ न रहने दिया

वही रटे हुए जुमले उगल रहा हूँ अभी

थकन से चूर बदन धूल में अटा सर था

तेरे हमदम तिरे हमराज़ हुआ करते थे

तिरा रंग-ए-बसीरत हू-ब-हू मुझ सा निकल आया

शब के ख़िलाफ़ बरसर-ए-पैकार कब हुए

शब भली थी न दिन बुरा था कोई

सर-ए-नियाज़ वो सौदा नज़र नहीं आता

पैरहन उड़ जाएगा रंग-ए-क़बा रह जाएगा

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