नख़्शब जार्चवि कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नख़्शब जार्चवि

नख़्शब जार्चवि कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नख़्शब जार्चवि
नामनख़्शब जार्चवि
अंग्रेज़ी नामNakhshab Jaarchawi

वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझे

कोई किस तरह राज़-ए-उल्फ़त छुपाए

वो कौन है जो हलाक-ए-निगाह-ए-नाज़ नहीं

वो कौन है जो हलाक-ए-निगाह-ए-नाज़ नहीं

वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझे

उठाने वाले ये इक बात है बताने की

निगाह-ए-क़हर-परवर को भी तम्हीद-ए-ख़ुशी समझे

नज़र को हामिल-ए-बर्क़-ए-जमाल कर न सका

ख़याल-ओ-ख़्वाब की दुनिया में ला के देख लिया

कभी तुम ने भी ये सोचा कि हम फ़रियाद क्या करते

जुनून-ए-बे-ख़ुदी के साज़-ओ-सामाँ देखने वाले

इमतियाज़-ए-हुस्न-ओ-उलफ़्त आश्कारा हो गया

दिल मिरा ख़ूगर-ए-आलाम हुआ जाता है

आप तो घबरा गए बेताबी-ए-दिल देख कर

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