तू मेरे हमराह खड़ा हो
सारी दुनिया पत्थर ले कर
जब मुझ को संगसार करे
तो अपनी बाँहों में छुपा कर
फिर भी मुझ से प्यार करे
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Jaun Eliya
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सिंध में रहने वाले दोस्त के नाम एक ख़त
कोई तो आए ख़िज़ाँ में पत्ते उगाने वाला
हवालात
काश वह रोज़-ए-हश्र भी आए
कोड़ों की सज़ा पाने वाले पहले शख़्स के नाम
औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है
चोर