निशांत श्रीवास्तव नायाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निशांत श्रीवास्तव नायाब

निशांत श्रीवास्तव नायाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निशांत श्रीवास्तव नायाब
नामनिशांत श्रीवास्तव नायाब
अंग्रेज़ी नामNishant Shrivastava Nayab
जन्म स्थानMumbai

रात अब अपने इख़्तिताम पे है

मैं एक पल में अँधेरे से हार जाऊँगा

जुनूँ को ढाल बनाया तो बच गए वर्ना

हिफ़ाज़त हर किसी की वो बड़ी ख़ूबी से करता है

एक भी पत्थर न आया राह में

चूड़ियाँ क्यूँ उतार दीं तुम ने

ब-ज़ाहिर दश्त की जानिब तो बढ़ता जा रहा है

ज़ेर-ए-लब हम ने तिश्नगी कर ली

यूँ तो मेरा सफ़र था सहरा तक

यहाँ पर मिरा कुछ भी था ही नहीं

उन का दीदार मेरी क़िस्मत में

तेरे हिस्से का बच गया है कुछ

रौशनी का साथ महँगा पड़ गया है

मिला है अपने होने का निशाँ इक

मैं हवा के दोश पे रक्खा हुआ

हसरतों को न ज़ेहन रुस्वा करें

बढ़ गया मोल ज़िंदगानी का

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