नूर बिजनौरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नूर बिजनौरी
नाम | नूर बिजनौरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Noor Bijnauri |
जन्म की तारीख | 1924 |
मौत की तिथि | 2001 |
जन्म स्थान | Islamabad |
ज़लज़ला आया वो दिल में वक़्त की रफ़्तार से
यहाँ किसी ने चराग़-ए-वफ़ा जलाया था
वही मोहतसिब की मलामतें वही एक वाज़ेह हसीं मिरी
तेरी यादों में खोए रहें मेरी जाँ
तमाम रात हवा चीख़ती रही बन में
शाख़ शाख़ पर मौसम-ए-गुल ने गजरे से लटकाए थे
संग-ए-दुश्नाम को गौहर जाना
मेरी दुनिया संग-ओ-आहन उन की दुनिया चांद-सितारे
मेरी दुनिया संग ओ आहन उन की दुनिया चाँद सितारे
लाला-ओ-गुल में बिखर जाएँगे हम
जगमग जगमग उस की आँखें मेरा सीना जुलता था
जगा रहा है तिरा ग़म नए नए जादू
इन घटाओं में उजाले का बसेरा ही सही
गए दिनों के फ़साने सुना रही है मुझे
इक तरन्नुम सा मिरे पावँ की ज़ंजीर में है
दिल के सहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं
दिल के दाग़ों में सितारों की चमक बाक़ी है
चश्म-ए-नम ले के चलो क़ल्ब-ए-तपाँ ले के चलो
चमकने लगा है तिरा ग़म बहुत
चमकने लगा है तिरा ग़म बहुत
अक़्ल ने लाख अँधेरों में छुपाया है तुझे
आस के रंगीं पत्थर कब तक ग़ारों में लुढ़काओगे