नुशूर वाहिदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नुशूर वाहिदी
नाम | नुशूर वाहिदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nushur Wahidi |
जन्म की तारीख | 1912 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Balia, Uttar Pradesh |
ज़िंदगी क़रीब है किस क़दर जमाल से
ज़िंदगी परछाइयाँ अपनी लिए
ज़माना याद करे या सबा करे ख़ामोश
यही काँटे तो कुछ ख़ुद्दार हैं सेहन-ए-गुलिस्ताँ में
उसी को ज़िंदगी का साज़ दे के मुतमइन हूँ मैं
तारीख़-ए-जुनूँ ये है कि हर दौर-ए-ख़िरद में
सरक कर आ गईं ज़ुल्फ़ें जो इन मख़मूर आँखों तक
सलीक़ा जिन को होता है ग़म-ए-दौराँ में जीने का
क़दम मय-ख़ाना में रखना भी कार-ए-पुख़्ता-काराँ है
'नुशूर' आलूदा-ए-इस्याँ सही पर कौन बाक़ी है
मेरी आँखों में हैं आँसू तेरे दामन में बहार
मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ
मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ
मआज़-अल्लाह मय-ख़ाने के औराद-ए-सहर-गाही
किस बेबसी के साथ बसर कर रहा है उम्र
ख़ाक और ख़ून से इक शम्अ जलाई है 'नुशूर'
हम ने भी निगाहों से उन्हें छू ही लिया है
हम रिवायात को पिघला के 'नुशूर'
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए
हस्ती का नज़ारा क्या कहिए मरता है कोई जीता है कोई
हक़ीक़त जिस जगह होती है ताबानी बताती है
है शाम अभी क्या है बहकी हुई बातें हैं
गुनाहगार तो रहमत को मुँह दिखा न सका
एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया
इक नज़र का फ़साना है दुनिया
दुनिया की बहारों से आँखें यूँ फेर लीं जाने वालों ने
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
दौलत का फ़लक तोड़ के आलम की जबीं पर
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की