परवेज़ साहिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का परवेज़ साहिर
नाम | परवेज़ साहिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Parvez Sahir |
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है
'साहिर' ये मेरा दीदा-ए-गिर्यां है और मैं
पूछा था मैं ने जब उसे क्या मुझ से इश्क़ है?
मेरी फ़ितरत ही में शामिल है मोहब्बत करना
इतना बे-आसरा नहीं हूँ मैं
बस एक ध्यान की मैं उँगली थाम रखी है
यूँ नहीं वो नज़र नहीं आता
उम्र-भर जुस्तुजू रहेगी क्या
सौदा-ए-इश्क़ यूँ भी उतरना तो है नहीं
नैरंगी-ए-ख़याल पे हैरत नहीं हुई
कोई नज़र न पड़ सके मुझ हाल-मस्त पर
इतना बे-आसरा नहीं हूँ मैं
चश्म-ए-ख़ुश-आब की तमसील नहीं हो सकती
ब-ज़ोम-ए-ख़ुद कहीं ख़ुद से वरा न हो जाऊँ
अद्ल को भी मीज़ान में रखना पड़ता है