प्रेम भण्डारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का प्रेम भण्डारी

प्रेम भण्डारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का प्रेम भण्डारी
नामप्रेम भण्डारी
अंग्रेज़ी नामPrem Bhandari
जन्म की तारीख1949

तेरी चाहत की है इतनी शिद्दत

तेरे मेरे बीच नहीं है ख़ून का रिश्ता फिर भी क्यूँ

शंकर बना के लोग मुझे पूजते रहे

शाम हुई तो सूरज सोचे

सारी सारी रात मैं जागा

सारी बे-रंग सोच के चेहरे

रंग तेरा उड़ा उड़ा सा है

पहली साँस पे मैं रोया था आख़िरी साँस पे दुनिया

मुझ को याद रहा तू भूला

मेरी शोहरत के पीछे है

मैं तो सब कुछ भूल चुका हूँ

कुछ रिश्ते हैं जिन की ख़ातिर

खेल-कूद कर शाम ढले क्यूँ

कैसे तन्हा रात कटेगी

जिस पर तमाम उम्र बहुत नाज़ था मुझे

जाने क्यूँ लोग मिरा नाम पढ़ा करते हैं

छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में

भीक दे कर न जाने क्या लेंगे

आग लगाई तुम ने ही तो

रंज-ओ-ग़म से जो बे-ख़बर होता

फूल सा इक खिला है आँखों में

है मिरे दिल की ये तस्वीर नज़र में रख लो

एक मुद्दत से उसे हम ने जुदा रक्खा है

दिल में ग़म आँख में हँसी देखी

दिल धड़कने का सबब क्या होगा

बात कैसी भी हो अंदाज़ नया देता था

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