क़मर सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़मर सिद्दीक़ी

क़मर सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़मर सिद्दीक़ी
नामक़मर सिद्दीक़ी
अंग्रेज़ी नामQamar Siddiqi
जन्म की तारीख1975
जन्म स्थानmumbai

ज़हर के तीर मिरे चारों तरफ़ खींचता है

ये मर्तबा कोशिश से मयस्सर नहीं होता

ये खेत सब्ज़ा शजर रहगुज़ार सन्नाटा

वो इक वजूद ज़मीं पर भी आसमाँ की तरह

सोच के इस सूने सहरा को जब से तेरा ध्यान मिला

फिर वही ख़ाना-ए-बर्बाद हमारे लिए है

पानियों में रास्ता शो'लों में घर देखेगा कौन

पहले तो इक ख़्वाब था ख़ाकिस्तर-ओ-ख़ावर के बीच

नवाह-ए-जाँ में अजब हादिसा हुआ अब के

मिसाल-ए-ख़्वाब हमेशा किसी सफ़र में रहे

मैं अपने पाँव बढ़ाऊँ मगर कहाँ आगे

क्या रंज कि यूसुफ़ का ख़रीदार नहीं है

किसी के दस्त-ए-तलब को पुकारता हूँ मैं

ख़्वाब नहीं है सन्नाटा है लेकिन है ता'बीर बहुत

कार-ज़ार-ए-दहर में क्या नुसरत-ओ-ग़म देखना

कभी है गुल कभी शमशीर सा है

जितना था जीना जी लिए मर जाना चाहिए

हमारी नींद में कोई सराब-ए-ख़्वाब भी नहीं

दुश्मन-वुश्मन नेज़ा-वेज़ा ख़ंजर-वंजर क्या

आँसू की एक बूँद पलक पर जमी रही

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