अजब तरह की है दुनिया ब-रंग-ए-बू-क़लमूँ
कि है हर एक जुदागाना अल-अमाँ तन्हा
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(351) Peoples Rate This
कुछ अपने काम नहीं आवे जाम-ए-जम की किताब
हम न महज़ूज़ हुए हैं किसी शय से ऐसे
अब्र साँ हर-चंद रक्खा चश्म को पुर-आब हम
अगर शम्अ हुए तो गल गए हम
आशिक़-ए-सोख़्ता-दिल ख़त्त-ए-सनम दोनों एक
पाँच दिन को जो यहाँ पर आ गया
कुफ़्र-ए-इश्क़ आया बदल मुझ मोमिन-ए-दीं-दार तक
मारा जावेगा भाग ऐ नासेह
लब-ए-शीरीं से अगर हो न तेरा लब शीरीं
ऐ दिल अब इश्क़ की लै-गोई और चौगान में आ
मुझे ख़ुशी कि गिरफ़्तार मैं हुआ तेरा
शैख़ मुझ को न डरा अपनी मुसलमानी थाम