बस नहीं चलता है वर्ना अपने मर जाने के साथ
फेंक देते खोद कर दुनिया की सब बुनियाद हम
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(352) Peoples Rate This
कुछ अपने काम नहीं आवे जाम-ए-जम की किताब
हम ने तो उजाड़ और बस्ती देखी
पारसा तू पारसाई पर न कर इतना ग़ुरूर
पाँच दिन को जो यहाँ पर आ गया
अजब तरह की है दुनिया ब-रंग-ए-बू-क़लमूँ
मोहब्बत मा-सिवा की जिस ने की गोरी कलोटी की
हम न महज़ूज़ हुए हैं किसी शय से ऐसे
फेर रोज़-ए-फ़िराक़-ए-यार आया
अगर शम्अ हुए तो गल गए हम
मुझे ख़ुशी कि गिरफ़्तार मैं हुआ तेरा
है जुदा सज्दा की जा हिन्दू मुसलमाँ की मगर