तर्क-ए-उल्फ़त का कुछ ख़याल भी है

तर्क-ए-उल्फ़त का कुछ ख़याल भी है

यही मुमकिन मगर मुहाल भी है

क्या खुले उक़्दा-ए-हयात-ओ-ममात

हर जवाब इक नया सवाल भी है

वर्ना क्या शय ये गर्दिश-ए-अफ़्लाक

इस में शामिल किसी की चाल भी है

कुछ मिरा दिल भी है जुनूँ-आसार

कुछ तिरी आँख का कमाल भी है

इस में जीने का भी हज़ार इम्कान

इस में मरने का एहतिमाल भी है

दिल भी है अंदरून-ए-सीना अज़ाब

सर सर-ए-दोश इक वबाल भी है

हर नज़र सूरतों का एक तिलिस्म

हर क़दम ख़्वाहिशों का जाल भी है

हर ख़बर इन्किशाफ़-ए-बे-ख़बरी

हर नफ़स अर्सा-ए-ज़वाल भी है

तुझ से दूरी भी है नशात-अफ़्ज़ा

तेरी क़ुर्बत में इक मलाल भी है

सूरत-ए-सब्ज़ा आरज़ू-ए-विसाल

सर-कशीदा भी पाएमाल भी है

किन तज़ादात में घिरा हूँ 'हबीब'

ज़िंदगी हिज्र भी विसाल भी है

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In Hindi By Famous Poet Qazi Habiburrahman. is written by Qazi Habiburrahman. Complete Poem in Hindi by Qazi Habiburrahman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.