Qita Poetry

ज़ुल्मतों को शराब-ख़ाने से

अब्दुल हमीद अदम

ज़ुल्म और जहल पर इसरार करोगे कब तक

अली सरदार जाफ़री

ज़ुल्फ़-ए-शब-रंग की घनघोर घटा से छन कर

अली सरदार जाफ़री

ज़ुल्फ़ की बात किए जाते हैं

हबीब जालिब

ज़ीस्त दामन छुड़ाए जाती है

अब्दुल हमीद अदम

ज़िंदाँ ज़िंदाँ शोर-ए-अनल-हक़ महफ़िल महफ़िल क़ुल-क़ुल-ए-मय

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़िंदगी तू ने कहानी दे दी

साबिर दत्त

ज़िंदगी साज़ दे रही है मुझे

असरार-उल-हक़ मजाज़

ज़िंदगी में लग चुका था ग़म का सरमाया बहुत

सुरूर बाराबंकवी

ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी

कश्मीरी लाल ज़ाकिर

ज़िंदगी की दराज़ पलकों पर

अब्दुल हमीद अदम

ज़िंदगी इस तरह भटकती है

महेश चंद्र नक़्श

ज़िंदगी है कि इक हसीन सज़ा

अब्दुल हमीद अदम

ज़िंदगी इक फ़रेब-ए-पैहम है

अब्दुल हमीद अदम

ज़िंदगी और शराब की लज़्ज़त

साग़र सिद्दीक़ी

ज़िंदगी और मिले और मिले और मिले

हफ़ीज़ जालंधरी

ज़िंदगानी ने दिया है ये मुझे हुक्म कि तू

अली सरदार जाफ़री

ज़िक्र-ए-मिर्रीख़-ओ-मुश्तरी के साथ

अहमद नदीम क़ासमी

ज़िक्र उस्ताद-ए-फ़न का जाने दे

हफ़ीज़ जालंधरी

ज़ेहन ओ जज़्बात ओ इशारात ओ किनायात बनी

अली सरदार जाफ़री

ज़ौक़-ए-परवाज़ अगर रहे ग़ालिब

अब्दुल हमीद अदम

ज़रूरतों ने सताया है इस क़द्र मुझ को

नश्तर अमरोहवी

ज़रा दम तो ले ले तूफ़ाँ कि थका है रास्ते का

नज़ीर बनारसी

ज़मीं के ग़र्ब से सूरज तुलूअ' करता हूँ

आबिद मलिक

ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा

अल्लामा इक़बाल

ज़ख़्म खाने के दिन गए लेकिन

अख़्तर अंसारी

ज़ख़्म देखे जिस्म देखा और पहचाना उसे

आबिद मलिक

ज़ब्त-ए-गिर्या

जोश मलीहाबादी

ज़ब्त का अहद भी है शौक़ का पैमान भी है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में

आसिम पीरज़ादा

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